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हिन्दी के महान कवि व गीतकार, गोपालदास सक्सेना 'नीरज' की यह पुस्तक इस मायने में विशेष है कि उनकी संपूर्ण रचनाओं में से उन्हीं के द्वारा चुने गए ये गीत उनके दिल के क़रीब हैं। उनके प्रिय गीतों के इस संकलन को उनके चाहनेवाले ज़रूर सहेज कर रखना चाहेंगे। इस पुस्तक में उनकी काव्य-यात्रा के, विभिन्न दौर के गीत समाहित हैं, जो सन् 1941 से आरंभ होकर आज तक चल रही है। नीरज ने अपनी कृतियों के माध्यम से हिन्दी और उर्दू भेद मिटा दिया है, इसलिए दोनों भाषाओं के पाठक उन्हें समान रूप से पढ़ते व प्यार करते हैं। उनका काव्य अध्यात्म जितनी गहराई और मानवतावादी दृष्टिकोण से परिपूर्ण है व उनकी शैली सहज-सरल है।
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