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Adhunik Bhart ke Shilpi Maharaja Sayajirao Gaekwad
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महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ आधुनिक भारत की निर्मिति प्रक्रिया के एक शिल्पी हैं।
राज्य चलाना एक शास्त्र है।
इसलिए राजा का ज्ञानसंपन्न होना अत्यधिक जरूरी है,
इसे जानकर सयाजीराव ने स्वयं ज्ञान पाया।
दुनियाभर की शासन पद्धतियों का अध्ययन किया।
सुशासन और जनता के ज्ञानात्मक प्रबोधन कार्य से जनकल्याण का व्रत हाथ में लिया।
शिक्षण और विज्ञानही प्रगति तथा परिवर्तन का साधन है, इसे महाराजा ने बखूबी जाना था।
इसलिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, सुशासन, विधि-न्याय, खेती, उद्योगों को मदद, सामाजिक-धार्मिक सुधार, जाति-धर्मों के बीच की उच्च-नीचता को खत्म करके समता, मानवता और सर्वधर्म समभाव के मार्ग को चुना था।
महाराजा सयाजीराव शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और वाङ्मयीन कलाओं के आश्रयदाता थे।
देश के अनेक युगपुरुषों और संस्थाओं को उन्होंने सहायता प्रदान की है;
पितामह दादाभाई नौरोजी, नामदार गोखले, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, न्यायमूर्ति रानडे, महात्मा फुले, राजर्षि शाहू, डॉ. आंबेड़कर, पं. मालवीय, कर्मवीर भाऊराव, स्वातंत्र्यवीर सावरकर, महर्षि शिंदे आदियों का उसमें प्रमुखताः से नामोल्लेख किया जा सकता है।
अनेक संस्था और व्यक्तियों को महाराजा की ओर से करोड़ों रुपयों की मदद हो चुकी है, इस प्रकार से उनका यह दाता रूप उनकी अलगता और अद्भुतता को बयां करता है।
महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ स्वतंत्रता सेनानियों के समर्थक और प्रतिभाशाली लेखक है,
उनके व्यक्तित्व की यह नई पहचान बनी है। उनकी किताबें, भाषण, पत्र, आदेश और दैनंदिनी देश का अनमोल खजाना है।
सुशासन और जनकल्याण में मुक्ति की खोज करनेवाले सयाजीराव का बलशाली भारत ही सपना था।
उसे पूरा करने का पवित्र कार्य प्रत्येक भारतीय को करना है।
राज्य चलाना एक शास्त्र है।
इसलिए राजा का ज्ञानसंपन्न होना अत्यधिक जरूरी है,
इसे जानकर सयाजीराव ने स्वयं ज्ञान पाया।
दुनियाभर की शासन पद्धतियों का अध्ययन किया।
सुशासन और जनता के ज्ञानात्मक प्रबोधन कार्य से जनकल्याण का व्रत हाथ में लिया।
शिक्षण और विज्ञानही प्रगति तथा परिवर्तन का साधन है, इसे महाराजा ने बखूबी जाना था।
इसलिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, सुशासन, विधि-न्याय, खेती, उद्योगों को मदद, सामाजिक-धार्मिक सुधार, जाति-धर्मों के बीच की उच्च-नीचता को खत्म करके समता, मानवता और सर्वधर्म समभाव के मार्ग को चुना था।
महाराजा सयाजीराव शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और वाङ्मयीन कलाओं के आश्रयदाता थे।
देश के अनेक युगपुरुषों और संस्थाओं को उन्होंने सहायता प्रदान की है;
पितामह दादाभाई नौरोजी, नामदार गोखले, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, न्यायमूर्ति रानडे, महात्मा फुले, राजर्षि शाहू, डॉ. आंबेड़कर, पं. मालवीय, कर्मवीर भाऊराव, स्वातंत्र्यवीर सावरकर, महर्षि शिंदे आदियों का उसमें प्रमुखताः से नामोल्लेख किया जा सकता है।
अनेक संस्था और व्यक्तियों को महाराजा की ओर से करोड़ों रुपयों की मदद हो चुकी है, इस प्रकार से उनका यह दाता रूप उनकी अलगता और अद्भुतता को बयां करता है।
महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ स्वतंत्रता सेनानियों के समर्थक और प्रतिभाशाली लेखक है,
उनके व्यक्तित्व की यह नई पहचान बनी है। उनकी किताबें, भाषण, पत्र, आदेश और दैनंदिनी देश का अनमोल खजाना है।
सुशासन और जनकल्याण में मुक्ति की खोज करनेवाले सयाजीराव का बलशाली भारत ही सपना था।
उसे पूरा करने का पवित्र कार्य प्रत्येक भारतीय को करना है।
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