Skip to product information
1 of 1

Swami Ka Sadhak स्वामी का साधक Hindi By Ritesh Vedpathak

Swami Ka Sadhak स्वामी का साधक Hindi By Ritesh Vedpathak

Regular price Rs. 144.00
Regular price Rs. 160.00 Sale price Rs. 144.00
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.
Publication
Condition
Language
मेरा मन हमेशा दत्तशिखर पर ही रमा रहता है। वहाँ मिलने वाली मानसिक संतुष्टि का अनुभव मुझे कहीं ओर आज तक नहीं मिला। अभी तक गिरनार प्रवास का अवसर अनेकों बार मिला है। वहाँ मंदिर के गर्भगृह में कभी दो मिनिट तो कभी एक घंटा रुकने का समय मिला है। जितना भी समय मिला उतने में ही हमेशा संतोष प्राप्त हुआ है। संभवत: इसीलिए दत्त महाराज ने मेरा प्रत्येक हठ पूरा किया और आज भी कर रहे है। अनेक लोग ये कहते हुए बार-बार हमारे पीछे पड़े रहते है कि -‘‘हमे भी अपने साथ गिरनार ले चलों’’ लेकिन सवाल उठता है क्यों, किसलिए? केवल रितेश और आनंद के साथ जाने मात्र से अनुभूति नही मिलने वाली। आपको अनुभूति मिलेगी लेकिन उसके लिए स्वयम को कष्ट उठाकर साधना करना होगी। बिना किसी प्रयास के केवल खींचतान करने से कुछ नही मिलेगा। उसके लिए साधना आवश्यक है। नामजप की महिमा अपरंपार है, ये निर्विवाद तथ्य है। बड़े-बड़े संत-महात्माओं ने शास्त्रों मे इस बात का उल्लेख किया है पर आज हमारी मानसिकता ऐसी हो गयी है कि हम सब कुछ बिना परिश्रम किए बैठे -ठाले पाना चाहते हैं। प्रयास करणे के लिए परिश्रम करना होता है लेकिन वो पीड़ा हम सहने की हमारी तैयारी नही होती। मै-मेरा करते रहने पर ये, साधना के मार्ग में अवरोध बन कर उसे निष्प्रभावी कर देता है। इसलिए इस तरह से कुछ भी साध्य नही हो पाता। महाराज हमे यूंही नही जाने देते। हर बार सबक सिखाते है लेकिन यदि इसके बाद भी हम नही समझे तो हमें कठिन परिस्थिति में डाल देते है। बात समझ में आ जाने पर हमारा मार्ग सरल कर देते है। किन्तु इस ऊहापोह में बड़ा समय बीत जाता है। इसलिए कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नही है। हमे सही समय पर सही साधना करना चाहिए। सीधी-सच्ची नाम जाप साधना करना चाहिए। उसी के रंग में रंग कर तृप्त होना चाहिए। इसी पद्धति से परमार्थ सिद्ध होता है।
View full details